बीजेपी को चली थी करने जो बदनाम
ओछी नीयत का दिया उसने खुद पैगाम
उसने खुद पैगाम बांटकर सीडी नकली
संन्यासिन ने साफ दिखाई सूरत असली
दिव्यदृष्टि बजने से पहले फटा नगाड़ा
दागदार छवि हुई खुल गया फर्जीवाड़ा
शनिवार, 2 अगस्त 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यह मैं हूं
ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2008
(289)
-
▼
अगस्त
(25)
- जम्मू वाले तो हुए किसी तरह संतुष्ट
- बेरहमी से उनको सबक सिखाओ
- चीफ मिनिस्टर रह गए देख हरकतें दंग
- सिंहली शेर बने लंका में बकरी
- झारखंड में आ गई गद्दी गुरु के हाथ
- बाहर करो निकाल समझकर उनको रद्दी
- नैतिकता की लाज भला फिर कौन बचाए
- तब तक नन्हीं कार नहीं बनवाएं टाटा
- लेने लगें वकील जब जोड़-तोड़ से काम
- पड़े खेल के खेत में सुविधाओं की खाद
- लालू टोली जब चढ़ जाएगी
- तब इस्तीफे का किया जनरल ने ऐलान
- अखिल और जीतेंद्र पर करे इंडिया नाज
- मियां मुशर्रफ के रहे गिने-चुने दिन शेष
- अमरनाथ के नाम पर मचा रहे कोहराम
- कीमत हुई वसूल दक्षिणा शिबू पाए
- अभिनव बिंद्रा तुम्हें देश दे रहा बधाई
- बेटी हूं मैं दलित की नहीं तनिक संदेह
- फिर भी लंका में नहीं छोड़ सके हैं छाप
- बेहतर है खुद सदर छोड़ दें फौरन गद्दी
- चमके उनके नैन, मुलायम-लालू झूमें
- अमरनाथ की आस्था उगल रही है आग
- शर्मा, वीरू, हरभजन खूब लगाए जान
- संन्यासिन ने साफ दिखाई सूरत असली
- तिकड़ी फिर बेहाल, हाथ आई मायूसी
-
▼
अगस्त
(25)
3 टिप्पणियां:
jo huaa sahi huaa, aage bhi sahi hoga...
किस संन्यासिन की बात हो रही है? मैं तो कुछ समझा ही नहीं! :(
अच्छी छणिका है
एक टिप्पणी भेजें