बुधवार, 3 सितंबर 2008

सिर पर दारू का नशा पांवों में थी कार

सिर पर दारू का नशा पांवों में थी कार
यारों की टोली हुई उस पर तभी सवार
उस पर तभी सवार बढ़ी रफ्तार अचानक
मदहोशी में हुआ हादसा सड़क भयानक
दिव्यदृष्टि है क्षम्य नहीं वह लापरवाही
तीन नागरिक सहित मर गए तीन सिपाही
घायल होकर रोड पर तड़प रहे थे लोग
हुआ न दुष्टों को जरा फिर भी कोई सोग
फिर भी कोई सोग, साथ जो यार सयाने
जालिम फौरन लगे वहां से तथ्य मिटाने
हुआ न मक्कारों को कोई भी पछतावा
मानवता मर गई मिटा ममता का दावा
केस अदालत में चला जब पूरे नौ साल
तब जाकर कानून की गल पाई है दाल
गल पाई है दाल बोलते मुंसिफ आकिल
है रईसजादा दोषी छह-छह का कातिल
दिव्यदृष्टि है नहीं रहम के काबिल बंदा
नशा हुआ काफूर बहुत पछताए नंदा

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

नंदा का वकील बोला यह सख्त सजा है,
अगर कोई गरीब होता ड्राइविंग सीट पर,
उसे सजा मिलनी थी हलकी,
मेरा मुबक्किल है अमीर बस इसलिए तो,
उस के पीछे लगे मीडिया और अदालत,
दे दी सख्त सजा कैसा अन्याय हुआ यह?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

kaash ki sabhi sadak durghatnaon men jaldi faisle aane lage.

PREETI BARTHWAL ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना है

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