गुरुवार, 10 सितंबर 2009

मार-मार मुक्का करे बैरी को बेहाल

युवा विजेंदर जूझता लेकर ऊंचा भाल
मार-मार मुक्का करे बैरी को बेहाल
बैरी को बेहाल निकाले खूब कचूमर
करें प्रशंसा लोग खुशी से झूमें झूमर
दिव्यदृष्टि मन्नू करते यदि मुक्केबाजी
नहीं उठाता आंख पड़ोसी कोई पाजी
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यह मैं हूं

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