शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

तुरत कीजिए चोट लगाकर वहां निशाना

इत सूखे से त्रस्त हैं सचमुच लोग विपन्न
मिले नहीं दो जून उत ज्यादातर को अन्न
ज्यादातर को अन्न सड़े सड़कों पर गंदम
नीयत नहीं दुरुस्त सुस्त अधिकारी तंत्रम
दिव्यदृष्टि 'लापरवाही' का जहां ठिकाना
तुरत कीजिए चोट लगाकर वहां निशाना

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