बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

तभी लोकप्रिय होते जस्टिस गुंडा स्वामी

जर्जर नित इन्साफ की होती गई मशीन
उसके ऊपर से अत: घटता गया यकीन
घटता गया यकीन उम्र आधी कट जाए
मगर नहीं इन्सान न्याय हासिल कर पाए
दिव्यदृष्टि बढ़ती जाये जुडिशल नाकामी
तभी लोकप्रिय होते जस्टिस गुंडा स्वामी

2 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

जस्टिस गुंडा स्वामी सरकारों के भानजे हैं।

SP Dubey ने कहा…

आप की सभी रचनाए पढ चुका हूं अच्छी लगती है, और ठीक समय पर पोस्ट करते है।
सम्मान पुर्वक अभिनन्दन स्विकार करे

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