भुज बल से ही जीतते आये योद्धा जंग
भुज बल से ही गगन में ऊंची उड़े पतंग
ऊंची उड़े पतंग, छगन को मगन कराये
शोकाकुल चह्वाण देशमुख फिरें डराये
दिव्यदृष्टि भुज बल से ही है सत्ता पाना
नहीं चिरौरी का प्यारे अब रहा जमाना
बुधवार, 21 अक्तूबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यह मैं हूं
ब्लॉग आर्काइव
-
▼
2009
(292)
-
▼
अक्तूबर
(21)
- सकते में है आजकल शीला की सरकार
- असंतुष्ट हैं फिर भी 'उनके' साथ रहेंगे
- हाकिम है बेदर्द सुना मत करुण कहानी
- पांच साल अब और नहीं बन पाये दाढ़ी
- चौटाला चलने लगे चतुर सियासी चाल
- फिर सत्ता से दूर रहे चोटिल चौटाला
- लूट भतीजा गया खूब चाचा की खोली
- नहीं चिरौरी का प्यारे अब रहा जमाना
- कोई पूछे तो खुद को सेकुलर बतलाओ
- आइए दीपावली पर हम जलाएं वह ' दिया '
- तभी लोकप्रिय होते जस्टिस गुंडा स्वामी
- 'सरेआम' क्यों भिजवाई ठर्रे की बोतल
- झटपट एक करोड़ 'रंगदारी' भिजवाओ
- उन्हें भला शिक्षा से क्या है लेना-देना
- सुलगे अगर समाज में असंतोष की आग
- फिर भी वेंकटरमन कोटिश: तुम्हें बधाई
- बन कर 'भागीदार' समस्या दर्ज कराएं
- जनप्रतिनिधि गिरेबान में अपने झांकें
- उसे राज की फिक्र सताती है डेनाइट
- कांग्रेस छलका रही दलित-प्रेम का जाम
- ले बापू का नाम गोल्डन कलम खरीदो
-
▼
अक्तूबर
(21)
2 टिप्पणियां:
sach farmaya aapne,chirori ke din ab gaye!!!!
्प्रतिदिन इतनी सारी घटनाओ मे से एक को चुनना और उसपर लिखना कमाल है आपका लेखन
धन्यवाद
एक टिप्पणी भेजें