माया लोकल तंत्र की भारत में मशहूर
जिसमें भ्रष्टाचार नित पनप रहा भरपूर
पनप रहा भरपूर, माल सरकारी खाते
फिर भी ब्यूरोक्रैट बिचारे नहीं अघाते
दिव्यदृष्टि नेता गण चाबें वोट-चबेना
उन्हें भला शिक्षा से क्या है लेना-देना
हंसों को झूठा चना, मोती चुनते काग
लक्ष्मीवाहन जीमते कोयल वाला भाग
कोयल वाला भाग भैरवी गिद्ध गा रहे
सारे बगुला भगत प्रशंसा नित्य पा रहे
दिव्यदृष्टि हो जहां सियारों की प्रभुताई
वहां सिंह सम्मान किस तरह पाए भाई
रविवार, 11 अक्टूबर 2009
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